Tuesday, October 27, 2015
Thursday, October 22, 2015
दशहरे पर कुछ कार्टून
दशहरा पर आप सभी को शुभकामनायें। बुराई रूपी रावण का अंत हम हर साल करते है. जी हम सिर्फ बुराई के प्रतीक का अंत करते हैं, बुराइयां हमारे बीच जस की तस बनी रहती है उन्हीं बुराइयों से कुछ मज़ेदार किस्से कार्टून के रूप में निकलते हैं. प्रस्तुत है दशहरे पर कार्टूनों की यह श्रंखला।
Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
Sunday, October 11, 2015
मोदी जी का वॉल्यूम बटन
हमारा एक दुःख था कि प्रधानमंत्री बोलता नहीं, तो हमने उसे बदल दिया और बोलने वाला प्रधानमंत्री ले आए. लेकिन प्रॉब्लम इस वाले पीएम में भी है. कभी वॉल्यूम बहुत ज़्यादा तो कभी बिलकुल बंद
Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
सेलिब्रेट करें
गरीबी घट रही है, वर्ल्ड बैंक के अनुसार तो भारत में तेजी से घट रही यही. हमेशा स्यापा नहीं करना चाहिए, लिहाजा इस पॉजिटिव न्यूज़ पर सेलिब्रेशन तो बनता है
Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
Thursday, October 1, 2015
एक्सीडेंट हो गया ……!!!
मोनिका गुप्ता |
55 वर्षीय जुल्फी मियां घबराए हुए, चाय की दुकान की ओर चले आ रहे थे. चेहरा सुर्ख लाल,हाथ-पांव कांपते हुए मेरे पूछने पर कि चच्चा जान, क्या हुआ उन्होंने बताया कि मियां, आज तो पूछो ही मत ... एक्सीडेंट हो गया... !!! यार-दोस्त उनकी हालत देखकर घबरा गए । छोटू को चाय आर्डर किया और उन्हें कुर्सी पर बैठाकर खैर-खबर जाननी चाही कि आखिर हुआ कैसे कि इतने में सतीश बोल पड़ा, यार सड़क पर इतने गड्डें हैं, कोर्इ हाल है क्या, वहीं उलझ गए होंगे और एक्सीडेंट हो गया होना है और नही तो क्या !!!
मनप्रीत ने अपनी राय रखी, ओये! तेनू की पता …. ऐ लोकल बसैं होन्दी हैं ना उसदे ऊपर लटक-लटक के जान्दें ने लौकी ……. मैं तां कहदां हां कि जुल्फी मियां भी किसे बस इच लटक के जा रहे होंगे तैं उदैं विचों डिग पए होणगे । तभी विक्टर ने टोका, हे मार्इप्री, मनप्रीत गुस्से से बोला, ओए नां ठीक लया कर … अंग्रेजी दा पुत्तर…….गल करदा है … मैंने बात गिड़ते देख उनकी सुलह करवार्इ और विक्टर से पूछा तो उसने बताया कि वैरी सिम्पल, द ओनली रीजन इज मोबाइल यार ! पीपल टाक टू मच ओन मोबाईल वार्इल ड्रार्इविंग, आर्इ थिंक दिस इस द ओनली रिजन आफ एक्सीडेंट तभी तार्जन मेरा मतलब टार्जन अपनी तातली आवाज में बोला, मु…….. मुझे पता है……… तोर्इ गाय तामने अचानक आ दर्इ होगी । औल तुल्फी मियां चलक पल गिल पले होंदे।
तभी खुद को हीरो समझने वाला शहिद बोला, ओ कम ओन यार, यू नो, ये सब दोस्ती का चक्कर है. मोटरसाइकिल और स्कूटर चलाते समय एक दूसरे का हाथ पकड़ लेते हैं और गाना गाते सड़क पर अपना दुपहिया भगाते हैं । आर्इ थिंक, दिस इज द रिजन, फ्रेंडस ।
तभी कमल हकलाता हुआ बोला …..त ….त……त…..तुम…..स…. सब गलत हो…….! नेताओ काइ…….इतना ….स…. स….. सारा काफिला च…. च….. चलता ……. है ……. ब …..ब ….बस……. किसी …….. ग….. ग….. गाड़ी…… ने ठोक दि…. दि…. दिया होगा ! बे…. बे…. बेचारे …..जु….. जु…. जुल्फी मियां ……..! तभी मेरा ध्यान जुल्फी मियां की तरफ गया । चाय उनके हाथ में ज्यों की त्यों रखी थी और चाय में काली मलार्इ जम चुकी थी और वो मानो किसी दूसरी ही दुनिया मे खोए हुए थे.
हम सभी ने तुक्के लगाने की बजाय चच्चा से ही बात करना बेहतर समझा और गहरी सोच में डूबे जुल्फी मियां ने बताया कि उनका ए ए ए ए एक्सीडेंट हो गया. इसी बीच में छोटू गर्म चाय का नया गिलास देकर चला गया था । मैंने फिर पूछा कि कहीं बंद फाटक के नीचे से तो नहीं निकल रहे थे कि ट्रेन आ गर्इ हो । उन्होंने फिर से न की मुद्रा में सिर झटक दिया । हम सब हैरान परेशान हो चुके थे ना कोई चोट का निशान न कुछ पर चेहरे पर पूरे 12 बजे हुए थे आखिर माजरा है तो क्या !! जुल्फी मियां हमारी किसी भी बात से सहमत ही नहीं थे पर रट एक ही लगा रखी थी कि एक्सीडेंट हो गया। हम आपस में बातें करने लगे कि आजकल बस या जीप के ड्रार्इवर के पास लाइसेंस तो होता नहीं है बस ड्राइवर बन जाते हैं और तो और छोटे-छोटे बच्चे भी धड़ल्ले से स्कूटी, कार, मोटरसाइकिल चलाते हैं । वही पुलिस भी ले देकर बात रफा दफा कर देती है.
तभी, जुल्फी मियां ने चाय का गिलास मेज पर रखा और चिल्लाते हुए बोले नहीं, अम्मा यार, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । वो तो ….. वो तो….. राह से गुजरते वक्त चश्मेबददूर बानो हमें मिल गर्इ थी । हमारी उनसे और उनकी हमसे ….नजरें इनायत हुर्इ… और फिर चार हुई … बस समझो कि ऐसा एक्सीडेंट हुआ कि….. बस…..!! ये कहते हुए खुदा हाफिज करते हुए, मुस्कुराते हुए बाहर निकल लिए और हम सब अपना सिर पकड़ कर बैठ गए ।
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