एक सुरा को सुरा कहए,दूजे सुधा पुकारि । सूरा पीत जेहि बिधि हो,होत सदा मतबारि ।२३४४ ।
भावार्थ : -- ये सत्ताधारी जो है न वह एक विधि की सूरा को सुरा कहते है दूसरी विधि की सूरा को अमृत कहते है । सुरापान चाहे किसी विधि में हो वह मतवाली ही होती है ।
इससे पता चलता है कि सत्ताधारीयों की बुद्धिमता किस स्तर की है .....
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एक सुरा को सुरा कहए,दूजे सुधा पुकारि ।
सूरा पीत जेहि बिधि हो,होत सदा मतबारि ।२३४४ ।
भावार्थ : -- ये सत्ताधारी जो है न वह एक विधि की सूरा को सुरा कहते है दूसरी विधि की सूरा को अमृत कहते है । सुरापान चाहे किसी विधि में हो वह मतवाली ही होती है ।
इससे पता चलता है कि सत्ताधारीयों की बुद्धिमता किस स्तर की है .....
यदि हैंडिल वाले पिलासटिक के थैले प्रदूषण करते हैं तो बिस्कुट-भुजिया वाले क्या करते हैं.....
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